गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में कुछ ज्ञातव्य बातें

गायत्री पुरश्चरण के नियम । गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में कुछ ज्ञातव्य बात

Some important things regarding Gayatri Purshacharan

गायत्री पुरश्चरण:-ब्रह्मा गायत्री में २४ अक्षर होते हैं । अतः गायत्री के एक पुरश्चरण में २४ लाख गायत्री का जप करना होता है । पुरश्चरण के अनेक नियम हैं । २४ लक्ष जप जब तक पूरा न हों जाय बराबर नियम पूर्वक ३००० गायत्री का जप किये जाओ ।

गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में नियम:-

१–प्राचीन काल में हिन्दू स्त्रियाँ भी यज्ञोपवीत धारण करती थीं और गायत्री का जप करती थीं किन्तु मनु इसके विरूद्ध हैं ।

२–पुरश्चरण समाप्त हो जाने के उपरान्त हवन करना और ब्राह्मणो, साधुओं और ग़रीबों को भोजन कराना चाहिए इससे गायत्री माता प्रसन्न होती हैं ।

३–जो लोग पुरश्चरण आरम्भ करे । उन्हें केवल दूध और फल पर रहना चाहिए । ऐसे करने से मन सात्विक रहता है ओर आध्यात्मिक उन्नति होती है ।

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4–मोक्ष प्राप्त करने के लिऐ जब निष्काम भाव से जप करना हो तो उसमें किसी तरह नियमों की वाधा नहीं रहती । किसी कामना विशेष के लिए जब सकाम भाव से जप किया जाता है तभी विधि ओर नियमों का पालन करना पड़ता है ।

५–गायत्री पुरश्चरण गंगाजी के तट पर पीपल या वटवृक्ष के नीचे करने से शीघ्र सिद्ध होता है ।

६–यदि १००० गायत्री का जप प्रतिदिन किया जाय तो एक वर्ष, सात महीने और पचीस दिनों में एक पुरश्चरण पूरा होता है । यदि जप धीरे धीरे किया जाय तो दस घंटो में चार हजार जप हो जायेगा । पुरश्चरण काल में नित्य एक सी संरुया में जप करना चाहिये ।

७–पुरश्चरण काल में कठोर ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिये । ऐसा करने से ही गायत्री माता के दर्शन सरलता से हो सकते हैं । जो गृहस्थ पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन न कर सके उन्हें स्त्री सहवास बहुत ही कम करना चाहिये । यही द्वितीय सर्वोत्तम उपाय है ।

८–पुरश्चरण काल में अखंड मौन ब्रत का पालन करना बड़ा लाभदायक होता है । जो लोग पूरे पुरश्चरण काल तक अखंड मौन का पालन न कर सकें उन्हें महिने में एक सप्ताह मौन ब्रत का पालन करना चाहिये । जो यह भी न कर सकें उन्हें रविवार के दिन अवश्य मोन ब्रत धारण करना चाहिये है ।

९–गायत्री का पुरश्चरण करें उसे बिना नित्य की जाप संख्या पूरी किये आसन पर से नहीं उठना चाहिये । जिस आसन से जपने वाला बैठे उसी आसन से समाप्त होते तक बैठे रहना चाहिये ।

१०–जप की गिनती माला, अंगुली के पुरुओ और घडी रख कर करना चाहिए । एक घएटे में जितना जप हो उसकी संरूया निर्धारित कर लो । मान लो कि एक घंटे में तुम ४ ० ० गायत्री जप करते हो तो ४००० जप दस घंटे में पूरा होगा घडी के सहारे संख्या निर्धारित करने में एकाग्रता शीघ्र आती है ।

११–प्रात: मध्य और सायंकाल में गायत्री के ध्यान की आकृतिया भिन्न-भिन्न है । बहुत से लोग उक्र तीनों कालों में अकेली पांच मुख वाली गायत्री का ही ध्यान करते हैं ।

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